
How does Compass Works?
नमस्कार दोस्तों , मेरा नाम है ओंकार और मेरी वेबसाइट OKTECHGALAXY.COM पर आपका फिर से स्वागत है । दोस्तों आज हम देखेंगे कि Compass kya hota hai? कंपास कैसे काम करता है? क्योंकि कई सारे लोगों का यह सवाल था कि कंपस के बारे में कुछ इंफॉर्मेशन प्रोवाइड कराए । वैसे तो दोस्तों कंपस को सभी लोगों ने जिंदगी में एक बार तो देखा ही होगा ।
अगर ऐसा नहीं है तो आप अपने मोबाइल को ही देख लो उसमें भी एक कंपस है और ऐसा कंपस का ऑप्शन आपको हर एंड्रॉयड मोबाइल में भी देखने को मिल जाता है । पर यह किस तरह से काम करता है इसके बारे में फुल डिटेल अभी काफी कम वेबसाइट द्वारा प्रोवाइड कर दी है । इसलिए मैंने यह आर्टिकल आप सबके लिए लाने का सोच लिया था ।
दोस्तों आपकी कमेंट का में बहुत ही शुक्रिया अदा करता हूं और ऐसे ही कमेंट करते रहे । ताकि आप को दी गई जानकारी सभी लोगों तक पहुंच जाए और यही मेरा उद्देश्य है कि एक सब्जेक्ट की जानकारी आप सभी को मिलती रहे । अगर आप यह सोच रहे हो कि हमें इस वेबसाइट के या फिर अन्य पोस्ट के कमेंट देखने को नहीं मिलते हैं तो आप कमेंट करके देख लीजिए ।
आपको वह कमेंट वेबसाइट के पोस्ट के नीचे देखने को नहीं मिलते है। यह कमेंट मुझे डायरेक्टली जीमेल द्वारा मिल जाते हैं इसलिए मैं कमेंट पहले पढ़ना और उसको सिलेक्ट करना पसंद करता हूं । आपके मन में भी काफी सारे सवाल है तो कमेंट द्वारा जरूर पूछें ।
दोस्तों इस पोस्ट द्वारा हम देखेंगे कंपस क्या होता है? कंपस का इतिहास? कंपस कैसे बनाया जाता है? कंपस कैसे काम करता है? घर पर कंपस कैसे बनाएं? Compass kya hota hai?

कंपस क्या होता है? What is compass? Compass kya hota hai?
दोस्तों Compass kya hota hai? आपको तो पता ही है कि अपनी पृथ्वी का एक मैग्नेटिक फील्ड है और उसके आधार पर कई सारी चीजें होती रहती है । जिसमें मैग्नेटिक पुल्स निर्माण होना और उससे एनर्जी तैयार होना । जैसे कई सारे काम मैगनेटिक फिल्ड से जाते हैं । तो कंपस भी एक ऐसा ही माध्यम या साधन है जो कि मैं मैगनेटिक फिल्ड का इस्तेमाल करता है । जिसे चुंबकीय शक्ति का आधार भी कहा जाता है ।
आपने कई सारे वीडियो में ऐसा देखा होगा कि कुछ गाड़ियां अगर हम न्यूट्रल करके रख दे तो वह ढलान में ऊपर की ओर जाती है , ना कि नीचे और वहां पर भी ऐसा माना जाता है कि चुंबकीय शक्ति का वह ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है या फिर वहां पर ज्यादा चुंबकीय शक्ति है और अगर ऐसी वीडियो आपको देखना है तो इस लिंक पर क्लिक करके देख सकते हो ।
तो अब आते हैं कंपस की ओर कंपस क्या होता है ? दोस्तों कंपस एक साधारण यंत्र होता है जिसके ऊपर N यानी North , नॉर्थ पोल के लिए , S यानी South साउथ पोल के लिए , E यानी East ईस्ट पोल के लिए और W यानी West वेस्ट पोल के लिए अक्षर छापे होते हैं और यह 360-degree का एक सर्कल बनाते हैं ।
जिसके अंदर एक चुंबकीय सुई होती है और उस चुंबकीय सुई को कंपस में इस तरह से लगाया जाता है कि वह अपने आप अपनी जगह पर घूमती रहे । अब वह सुई पहले से चुंबकीय सुई होने की वजह से वह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का यानी कि पोल्स का इस्तेमाल करती है और हमेशा उत्तर की ओर अपना इशारा करती है या फिर North Poll ही हमेशा दिखाती है ।
कंपस का इतिहास – History of Compass
अगर कंपस का इतिहास जाना जाए तो यह काफी पुराना है और पुराने जमाने में लोग दिशा यंत्र के लिए या फिर दिशा जानने के लिए कंपस का इस्तेमाल नहीं करते थे । वह एक साधारण सुई या तार को कई जगह पर घिस्सा करते थे । इससे उस तार में चुंबकीय बदलाव हो जाते थे और वह तार एक कागज या पत्ते के ऊपर रख दी जाती थी और वह तार उसमें चुंबकीय शक्ति होने की वजह से उत्तर की ओर पॉइंट करता था ।
या फिर कंपस ना होने की वजह से लोग सूरज या ध्रुव तारे की मदद से अपनी दिशा सुनिश्चित करते थे । आपको एक बात बता दूं कि ध्रुवतारा हमेशा चमकता है इसलिए उस तारे पहचानना काफी आसान होता है । दोस्तो एक बात बता दूं की ध्रुवतारा पृथ्वी से 434 प्रकाश वर्ष दूर है मगर यह तारा हमेशा चमकीला ही नजर आता है ।
इसका कारण यह है वह ध्रुवतारा एक अकेला तारा वहां पर नहीं है । उसके अगल बगल में कई सारे तारों का संग्रह है इस वजह से वह हमेशा चमकीला नजर आता है और यह तारा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव में होने की वजह से लोगों को उत्तर दिशा ढूंढने में ज्यादा परेशानी नहीं होती थी ।
दोस्तो सबसे पहले कंपस का निर्माण चीन में हुआ था और यह आविष्कार चीन के Han Dynasty ने 200 BCE में किया गया था । पर इनके साथ साथ अन्य लोगों के नाम कंपस निर्माता के तौर पर लिए जाते है । तो यह बात तो मुझे काफी निराशाजनक लगी क्योंकि किसी एक व्यक्ति का नाम कंपस के लिए नहीं लिया जाता , जैसे कि William Thomson, 1st Baron Kelvin का नाम भी कंपस निर्माता के लिए लिया जाता है । हालांकि इसके कई सारे कारण हो सकते हैं ।
जैसे कि पहला कंपस बनाया तो वह मैगनेटिक था और उसमें किए गए आधुनिकिकरण की वजह से एक कई नाम और जुड़ गए और कंपस में भी टो कई सारे प्रकार आते ही है । इस वजह से ही कंपस का कोई एक निर्माणकर्ता नहीं होगा । पर अगर विकिपीडिया की माने तो इस वेबसाइट का यह कहना है कि सर्वप्रथम दिशा दर्शक चीन के हान राजवंश ने बनाया था । पर इस वेबसाइट पर भी आपको कई सारे अन्य नाम भी इसे दिशादर्शक के लिए मिल जाते हैं ।
कंपस किस तरह से बनाया जाता है? How is a compass made?
दोस्तों कंपस बनाने के लिए एक खाली डिब्बी ली जाती है जिसके ऊपर एक Coil , dial या पत्रक ( तीनों शब्द एक ही है ) लगाया जाता है और इस पर 360 तक आंकड़े होते हैं और कुछ लाइंस भी होती है । अब 360 तक जो आंकड़े होते । वह आंकड़े डिग्री यानी कि कोन की जगह बताते हैं । कुछ कंपास में 10-10 डिग्री छोड़कर आंकड़े प्रिंट किए होते हैं यानी कि 0-10_20 से लेकर 340 या 350 तक आंकड़े प्रिंटेड होते हैं । अब जो जीरो का आंकड़ा होता है उस पर N यानी कि North प्रिंट किया हुआ होता है ।
दोस्तो कंपस पर नंबर प्रिंटिंग की व्यवस्था कंपस बनने के कई दिनों बाद शुरू हुई थी । पर उससे पहले कंपस पर किस तरह से आंकड़े बनाए जाते थे तो इसके लिए पेड़ के रस का कलर या फिर पेड़ से निकला हुआ चिपचिपा पदार्थ एक करके उससे कंपस पर कलर किया जाता था । या पेपर पर आंकड़े डाले जाते थे । आपको बता दू की पेपर कि शुरुआत भी China में ही हुई थी ।
यह 0 से 360 डिग्री की एक प्लेट डिब्बी में रखी जाती है । उसके ऊपर एक चुंबकीय सुई रख दी जाती है । यह चुंबकीय सुई अपने आप 360 Degree घूम जाती है । वह चुंबकीय होने की वजह से ही उसे उत्तर दिशा में घूमने में काफी आसानी हो जाती है । अब उस डिब्बे के ऊपर कांच भी लगानी पड़ती है । ताकि वह सुई बाहर ना गिरे तो यह कुछ आसान प्रोसेस होता है एक कंपस बनाने के लिए ।
कंपस कैसे काम करता है? How does the compass work?
दोस्तों अगर आप एक चुंबक को देखोगे तो वह चुंबक हमेशा उत्तर की ओर इशारा करता है । पर यह कंपस का चुंबक अगर आप देखोगे तो वह सीधा होता है । तभी उत्तर की ओर इशारा करता है । पर अगर वह थोड़ा मुड़ा हुआ हो या फिर गोल हो तो उसका उत्तर दिशा दिखाने का कुछ मतलब ही नहीं बनता है । इसलिए कंपस के अंदर एक लंबी सुई लगाई जाती है । क्योंकि उसकी उत्तर दिशा हमेशा सीधी उत्तर दिशा में ही रहे और वह दिशा बदलती नहीं है ।
पर क्या हो अगर कंपस में सुई की जगह पर गोल सुई लगाई जाए । तो दोस्तों इससे यह होगा कि वह गोल चुंबक आपको उत्तर दिशा नहीं दिखा पाएगा और ऊपर रखी हुई सुई उसके आसपास घूमती रह जाएगी और घूमती रहेगी । उस चुंबक का नॉर्थ पोल और सुई का साउथ पोल आमने सामने आ जाए तो वह स्वयं उस चुंबक के साथ चिपक जाएगी । इसलिए कंपस में हमेशा सीधी सुई का ही इस्तेमाल किया जाता है ।
यह सुई एक प्लेट के ऊपर हमेशा उत्तर दिशा की ओर इशारा करती और घूमती रहती है । अगर आप उस कंपस को थोड़ा हिलाओगे या फिर उसे टर्नर करोगे तो वह उत्तर दिशा की ओर इशारा करेगी । सही उत्तर दिशा जानने के लिए आपको वह सुई 0 पर छोड़ देनी है ।
घर पर कंपस कैसे बनाएं?
दोस्तो वैसे तो कंपस घर पर बनाना काफी आसान है । आप सिर्फ दो चीजों द्वारा यह कंपस घर पर बना सकते हो । दोस्तों डिब्बे में जो कंपस रखा जाता है उस कंपस की सुई घूमने के लिए मैगनेटिक सुई लगाई जाती है और यहां पर हमें देखने को मिलता है आप उस कंपस की 0 से 350 आंकड़ों वाले प्लेट की जगह पर पानी का उपयोग करके सुई को घुमा सकते हो ।
पर अगर आपको कंपस घर पर ही बनाना है तो उसके लिए आपको एक साधारण सी Niddle यानी कि सुई लेनी है और उसी को एक चुंबक के साथ 10 बार स्लाइड करना है या फिर घिसना है । इससे उस सुई में भी चुंबकीय शक्ति प्रदान हो जाएगी । उसके बाद एक प्लास्टिक का छोटा सा टुकड़ा या पेपर लेकर वह सुई उस पर रख देनी है और वह प्लास्टिक का टुकड़ा पानी पर आराम से रख देना है । इस से वह चुंबकीय सुई उत्तर की ओर दिशा पॉइंट कर देगी । जिसके बाद आप अपनी बाकी की दिशाएं समझ सकते हो ।
कंपस का फ्यूचर कैसा हो सकता है?
दोस्तों वैसे तो कंपस के कई सारे मॉडल शुरुआत से लेकर अभी तक आ चुके हैं और अगर आप चाहते हो कि किस-किस जगह पर कंपस कौन सा काम करता है इसके बारे आर्टिकल लाऊंगा तो उसके लिए मेरे अगले पोस्ट का इंतजार करना होगा । मैं जल्द ही कंपस का अभी तक का इतिहास या फिर उसके उपयोग आप तक पहुंचाने की कोशिश करूंगा ।
तो दोस्तों अब आते हैं अपने मेन पॉइंट की ओर , कंपस का फ्यूचर क्या हो सकता है तो वैसे तो दोस्तों कंपस का निर्माण होने से लेकर अब तक कंपस के कई सारे काम या फिर उपयोग हो चुके हैं और अगर इसके अभी तक के बदलाव की बात करें तो हमें बहुत सारा बदलाव इसमें देखने को मिलता है । हालांकि आपको ऐसे लगता होगा कि अब कंपस को कोई इस्तेमाल नहीं करता है तो आप गलत हो ।
कई सारे जगह पर आज भी compass का खूब इस्तेमाल होता है , इसके बारे में अगले आर्टिकल में हम जरूर बात करेंगे । पर आज यह कंपस ट्रैकिंग करने वाले व्यक्ति के लिए या फिर कहीं पर अनजान जगह गुम हो जाने वाले व्यक्ति के लिए काफी जरूरी साधन माना जाता है । आज हम जो कंपस इस्तेमाल करते हैं वह मोबाइल द्वारा ही इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि मोबाइल में एक नेटवर्क प्रधान प्रणाली होती है ।
जो कि आप कहां पर हो और उत्तर दिशा कहां पर है वह भी बता देते हैं या फिर उसमें भी कोई चुंबक हो सकता है । पर सवाल यह है कि मोबाइल के अंदर इतने सारे छोटे-छोटे पार्ट या मैग्नेट भी लगाए होते हैं तो जो कंपस का काम करने वाला मैग्नेट हो वह किस तरह से वर्क करता होगा क्योंकि इतने सारे मैग्नेट्स के बीच में उत्तर दिशा ढूंढना काफी मुश्किल हो जाता है ,
पर दोस्तो मोबाइल में ना तो मैग्नेट का उपयोग होता है ना ही नेटवर्क का , मोबाइल में compass का ऑप्शन इंसर्ट करने के लिए Html , Javascript Coding का इस्तेमाल किया जाता है । पर अगर बात करें आनेवाले फ्यूचर की तो उसमें मुझे तो ज्यादा कुछ फ्यूचर नजर नहीं आता । क्युकी आज GPS का इस्तेमाल ज्यादा होने लगा है ।
पर हमें उत्तर दिशा देखने के लिए 3D टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए कुछ दिनों बाद देखने को मिल सकता है । जिससे हमारी पृथ्वी पूरी दिखाई जा सकेगी और उसमें हमें उत्तर दिशा , दक्षिण दिशा में जो कुछ है उसके आसान रास्ते या दरिया , जंगल का पहले से दिखाया जाएगा तो यह कुछ टेक्नोलॉजी कंपस से लेकर हो सकती है ।
दोस्तो इस पोस्ट में हमने जाना कि ” कंपस क्या होता है? कंपस कैसे बनाया जाता है? कंपस कैसे काम करता है? Compass kya hota hai? “
तो दोस्तों यह आर्टिकल कैसा लगा COMMENT जरूर करें । अगर इस आर्टिकल से जुड़ा आपका कोई सवाल है तो कृपया कमेंट बॉक्स में जरूर पूछे । ताकि आपके साथ और भी लोगों की परेशानी दूर हो । अगर आर्टिकल अच्छा लगे तो इसे अपनों में और आपके पसंदीदा सोशल मीडिया वेबसाइट पर SHARE जरूर करें । अन्य सोशल मीडिया साइट पर हमारे नोटिफिकेशन पाने के लिए कृपया हमें आपके पसंदीदा सोशल मीडिया साइट पर फॉलो भी करें ।
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