Space में Astronauts की मौत किस वजह से हो सकती है? स्पेस में मौत होने के बाद क्या होगा?

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है ओंकार और मेरी वेबसाइट पर आपका फिर से एक बार स्वागत है। दोस्तों हमने इस पेज से रिलेटेड कोई आर्टिकल आप तक पहुंचाई है। तो यह आर्टिकल भी आपके लिए थोड़ा सा स्पेशल होने वाला है। क्योंकि अगर आपने पोस्ट टाइटल और Thumbnail देखा होगा तो आपको समझ में आएगा कि हम देखेंगे Space में मरने के बाद क्या होता है?



















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स्पेस में जाने वाली एस्ट्रोनॉट को अगले पल की कोई भी जानकारी नहीं होती है कि कब क्या होगा? और यही हम Rule धरती के लोगों को हमेशा लागू होता है। ऐसे में अगर देखा जाए स्पेस तो यहाँ ठीक से चलना तो छोड़िए पर एक जगह से दूसरी जगह हिलना या सरकना तक मुश्किल हो जाता है। इसमें एस्ट्रोनॉट स्पेससूट पहनकर अगर कोई काम करते है। और वहां पर काम करते हुए उनकी मौत हो जाती है। तब क्या होगा या फिर उनके मौत के क्या कुछ कारण हो सकते है। इसके बारे में हम आज इस पोस्ट में जानकारी लेंगे।



स्पेस में मौत किस वजह से हो सकती है?

स्पेस में मौत होने के बाद क्या होगा?

अब तक स्पेस में किसी की मौत हो चुकी है?


स्पेस में मौत किस वजह से हो सकती है?

दोस्तों स्पेस में मौत होने के वैसे तो कई सारे रीजन हो सकते है। तो यहां पर हम हर एक रीजन को जानने की कोशिश करेंगे तथा वह रीजन टेक्निकल है कोई सेटेलाइट या मशीन का Glich है या फिर साधारण सी समस्या है। कोई फर्क नहीं पड़ेगा पर हम सभी रीजन जानेंगे जो स्पेस में एस्ट्रोनॉट के मौत होने के कारण बन सकते है।


स्पेस स्टेशन से एस्ट्रोनॉट का संपर्क टूटना

दोस्तों स्पेस स्टेशन और एस्ट्रोनॉट हमेशा ही एक दूसरे से कनेक्ट रहते है। एक पॉलीकार्बोनेट नैनोट्यूब जैसी एक डोरी या केबल से जुड़े होते हैं अब यह केबल कई तरह से मजबूत की जाती है और इसे तोड़ना यार इसका टूटना लगभग नामुमकिन होता है। पर कई बार इस पर अधिक दबाव या जोर पड़ने पर खिंचाव आने पर यह भी टूट सकती है किसी कारणवश यह डोरी टूट जाए तो जब ऐसी केबल टूटती है तब उस एस्ट्रोनॉट पर जितना फोर्स लगा है या फिर स्पीड लगी है उसी स्पीड से वह एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष की गहराई में भटकता रहेगा


तो एस्ट्रोनॉट हमेशा ही वैसे ही स्पेस में बना रहेगा या भटकता रहेगा। जो केबल टूटते वक्त की स्पीड होती है। वही स्पीड हमेशा ही एस्ट्रोनॉट के ऊपर लगे रहती है। और उसी स्पीड से एस्ट्रोनॉट स्पेस में घूम सकता है। अगर यह स्पीड बहुत ही कम होगी तो एस्ट्रोनॉट को बचाया जा सकता है। अगर यह स्पीड काफी ज्यादा होगी तो एस्ट्रोनॉट काफी जल्दी स्पेस स्टेशन से कुछ ही समय में काफी दूर चला जाएगा तो तब उन्हें बचाना थोड़ा मुश्किल बन जाता है। पर ऐसे कोई भी मामला सामने नहीं आया है। जो यह कहलाता हो कि स्पेस स्टेशन से कनेक्ट की गई केबल टूटने की वजह से एस्ट्रोनॉट स्पेस में खो गया हो।


स्पेस स्टेशन से टेक्निकल कनेक्शन टूटने

दोस्तों स्पेस स्टेशन से टेक्निकल कनेक्शन तब टूटता है जब किसी Device में टेक्निकल एरर आ जाए या से खराबी आ जाए साथ में अगर एस्ट्रोनॉट के सूट में लगे हुए कनेक्शन कंपोनेंट या टूल खराब हो जाए तब भी ऐसा ही होता है। इसलिए स्पेस सूट को इतना मजबूत और टेस्टिंग करके बनाया जाता है। कि उसके टूल्स खराब ना हो सके साथ में एस्ट्रोनॉट को स्पेस स्टेशन से बाहर भेजने से पहले उसके सूट की कनेक्शन की ओर पूरे टेक्निकल टीम की काफी जांच की जाती है। टेक्निकल टीम और एस्ट्रोनॉट की मानसिक स्थिति का भी जायजा लिया जाता है। तभी उसे स्पेस में बाहर भेजा जाता है। पर अगर स्पेस स्टेशन में टेक्निकल प्रॉब्लम आ जाए या फिर धरती पर बैठे साइंटिस्ट वन द्वारा कुछ गलत कमांड दी जाए तब भी स्पेस स्टेशन से टेक्निकल कलेक्शन टूटने की वजह से एस्ट्रोनॉट की मौत हो सकती है।


स्पेस स्टेशन में ऑक्सीजन खत्म होने की वजह

अगर देखा जाए स्पेस स्टेशन तो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धरती से अब तक सबसे नजदीक बनाया गया 1 स्पेस स्पेस स्टेशन है जहां पर धरती से एस्ट्रोनॉट के लिए या फिर वहां पर जो कुछ व्यक्ति रिसर्च कर रहे हैं या स्पेस स्टेशन को ठीक कर रहे हैं या फिर स्पेस स्टेशन में कुछ एक्स्ट्रा मशीनरी टूल्स लगा रहे हैं उनके लिए धरती से ही ऑक्सीजन प्रोवाइड किया जाता है या फिर पहुंचाया जाता है


दोस्तों जब भी एस्ट्रोनॉट किसी काम के लिए स्पेस स्टेशन के बाहर निकलता है। तो वहां पर जरूरत होती है ऑक्सीजन की क्योंकि स्पेस स्टेशन के बाहर नजदीकी ऑक्सीजन का ठिकाना तो धरती ही है। और पूरा स्पेस एक वेक्यूम की तरह है जहां पर ऑक्सीजन का कोई भी नामोनिशान नहीं है तो आप समझ गए होंगे कि जब एस्ट्रोनॉट स्पेस स्टेशन से बाहर निकलेगा तो उसे स्पेस सूट का ही ऑक्सीजन हमेशा यूज करना होगा तो अगर ऐसे स्पेस सूट का ऑक्सीजन खत्म हो जाए या पर्याप्त मात्रा में ना हो तो भी ऑक्सीजन की कमी की वजह से एस्टोनेट की मौत हो सकती है। हालांकि एस्ट्रोनॉट को कम ऑक्सीजन में ज्यादा से ज्यादा शांत रखने के ट्रेनिंग भी दी जाती है। पर काफी लंबे समय तक नहीं चलता


एस्ट्रोनॉट का डर

दोस्तों एस्ट्रोनॉट को डर पर कामयाबी पाने के लिए भी ट्रेनिंग दी जाती है। जैसे कि ज्यादा से ज्यादा ना घबराए कम से कम ऑक्सीजन का इस्तेमाल करें और शांत रहकर फैसला ले इससे कई सारे ट्रेनिंग भी एस्ट्रोनॉट को दी जाती है पर कई बार कुछ रिस्की मिशन भी होते है। या फिर कई बार वह किसी ना किसी वजह से घबरा जाते है। ऐसे में एस्ट्रोनॉट का डर भी एस्ट्रोनॉट की मौत का कारण बन सकता है।


स्पेस स्टेशन में खराबी या आग

वैसे तो दोस्तों स्पेस स्टेशन हो या फिर कोई अन्य मिशन हो वहां पर किसी भी टूल्स का जलना या फिर उसमें आग लगना कई बार संभव हो जाता है और यह काफी घातक हो सकता है। स्पेस स्टेशन के बाहर आग लगने का कोई भी चांस नहीं होता है। क्योंकि स्पेस स्टेशन के बाहर कोई वातावरण ही नहीं है। और किसी भी चीज को आग लगने के लिए सबसे जरूरी होता है ऑक्सीजन और कई सारी गर्मी


पर स्पेस स्टेशन के अंदर आग जरूर लग सकती है क्योंकि स्पेस स्टेशन के अंदर कई मात्रा में ऑक्सीजन के टैंक होते हैं और यहां पर जलने के लिए कई सारे टूल्स, मशीनरी और इंजिन केबल्स भी होते हैं । और यहां पे स्टेशन के अंदर कुछ टेक्निकली खराबी की वजह से आग जरूर लग सकती है। और ऐसे में वहां पर बचाव के लिए कुछ साधन तो जरूर होते है। पर यह पर्याप्त ना हो तो भी एस्ट्रोनॉट की मौत हो सकती है।


धरती पर वापस आता स्पेस शटल जलने की वजह से

जब भी अंतरिक्ष जैसे कि चांद या मार्स मिशन करने के बाद में या फिर धरती के बाहर मौजूद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अपना टेक्निकल काम पूरा करके या फिर वहां पर कुछ टेक्निकल इंस्ट्रूमेंट ठीक करके या फिर नए ऐड करके एस्ट्रोनॉट 15-20 दिनों में वापस आते है। तब स्पेस शटल का इस्तेमाल करते है। स्पेस शटल धरती पर वापस लौटने के लिए स्पेस शटल पृथ्वी के वातावरण की वजह से जल्द ही आग पकड़ने लगता है और यह आग से स्पेस शटल के बाहर शुरू होती है। यह आग वातावरण के घर्षण से और स्पेस शटल के स्पीड की वजह से तैयार होती है या शुरू होती है स्पेशल के अंदर उपस्थित एस्ट्रोनॉट को इसका कोई भी खतरा नहीं होता है। फिर भी जान जाने के चांस शेष 99% तो होते ही है। क्योंकि एक छोटी सी गड़बड़ी एक बड़ी तबाही का रूप भी ले सकती है।


किसी प्लेनेट पर उतरते वक्त क्रैश लैंडिंग

जब किसी दूसरे ग्रहों पर स्पेस मिशन को भेजा जाता है तब उसने मानव रहित या मानव को के साथ स्पेस मिशन भेजे जाते हैं। जब इंसानों को इसी मिशन में भेजा जाता है तब कई सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि इंसानों के लिए जरूरी सारी सामग्री 1 स्पेस मिशन में दी जाती है जिसमें यह कई टनो का सामग्री हो सकता है । किसी दूसरे ग्रहों पर उतरते वक्त अगर किसी टेक्निकल गड़बड़ी की वजह से या सिग्नल की वजह से स्पेस मिशन लैंडर क्रैश लैंडिंग करता है। तब ऐसे हालात में अंदर मौजूद एस्ट्रोनॉट की मौत तुरंत हो सकती है।


स्पेस में मौत होने के बाद क्या होगा?

दोस्तों यहां पर एस्ट्रोनॉट की मौत होने के कुछ अलग अलग रीजन दिए गए है। उसके हिसाब से उनकी मौत होने के बाद क्या होगा यह मैं आपको बताने की कोशिश कर रहा हूं


स्पेस शटल में एस्ट्रोनॉट की मौत

तो अगर किसी एस्ट्रोनॉट की मौत स्पेस शटल में स्पेस शटल जलने की वजह से यह स्पेस शटल ब्लास्ट होने की वजह से होती है। तो उस स्पेस शटल को अपने पर्याप्त लोकेशन तक पहुंचना ही होता है और अगर यह अपनी लोकेशन से भटक जाता है और किसी दूसरे जगह पर गिर जाता है । तो उसे स्पेस मिशन टीम द्वारा खोजने की कोशिश की जाती है। हालांकि इसके कोऑर्डिनेट समुंदर के आस पास के ही होते है। और ऐसे आपत्तिजनक स्थिति में एस्ट्रोनॉट की मौत होती है। तो उनकी डेड बॉडी मिलने के चांसेस काफी कम होते है। क्योंकि अगर स्पेस शटल समंदर में गिरता है। तो उन्हें बचाया जा सकता है। पर अगर उस पर स्टेटस जमीन पर गिरता है। तो कुछ ही सेकंड में जल सकता है।


स्पेस स्टेशन के अंदर किसी की मौत

स्पेस स्टेशन के अंदर अगर किसी की मौत होती है। तो एस्ट्रोनॉट को एक Highly Protected Box में बंद किया जाता है। जो काफी सिक्योर और टाइट होता है। और उसके बॉडी को या फिर मृत शरीर को धरती तक वापस लाने का प्रयास किया जाता है। और इसके लिए अलग सा एक मिशन भी करवाया जाता है। अगर दूसरे एस्ट्रोनॉट उस मृत व्यक्ति को धरती तक वापस लाने के लिए पर्याप्त होते है या फिर कारगर होते है। तो तो वहां पर स्टेशन में मौजूद एस्ट्रोनॉट उस व्यक्ति के शरीर को धरती तक वापस लाने की कोशिश करते हैं इसके लिए धरती पर मौजूद प्रोग्राम टीम की हेल्प ली जाती है और अनुमति भी ली जाती है पर यह मौत कैसे हुई इसकी जांच भी काफी होती है।


स्पेस में एस्ट्रोनॉट की मौत

तो जैसे कि मैंने कहा स्पेस स्टेशन से कनेक्ट रस्सी या पॉलीकार्बोनेट केबल उस पर काम करने वाले एस्ट्रोनॉट से भी कनेक्ट होती है। और यह तू मजबूत भी होती है। पर किसी कारणवश यह केबल टूट जाती है। तो वह एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में खो जाने के चांसेस 50% तो होते है। क्योंकि उसका रेस्क्यू ऑपरेशन करने की जिम्मेदारी बाकी एस्ट्रोनॉट पर आती है। और अगर स्पेस स्टेशन के अंदर बचे हुए एस्ट्रोनॉट केबल से बंधे हुए है तो एस्ट्रोनॉट को बचाने की पूरी कोशिश करते है। पर किसी कारणवश अगर उस एस्ट्रोनॉट से जुड़ी हुई केबल टूट जाती है या एस्ट्रोनोट स्पेस स्टेशन से स्पेस शटल से दूर चला जाता है तो उसे बचाना लगभग नामुमकिन हो जाता है और को एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष की गहराई में हमेशा के लिए चला जाता है जिसे बाद में दोबारा पाना या ढूंढना पूरी तरह से नामुमकिन सा ही हो जाता है और वह एस्ट्रोनॉट केबल टूटते वक्त जिस स्पीड से स्पेस में घूम रहा होगा उसी स्पीड से ही अंतरिक्ष में चला जाएगा अगर यह स्पीड काफी कम होगा तो उसे तुरंत किसी ना किसी तरह से पकड़ा जा सकता है वरना नहीं


अब यहां पर एस्ट्रोनॉट के स्पेस सूट में बचा हुआ ऑक्सीजन ही डिसाइड करेगा कि उस एस्ट्रोनॉट की मौत कब और कैसे होगी। अगर ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में हो तो लगभग 15 मिनट तक जिंदा रह पाएगा। या उससे पहले उसकी मौत हो जाएगी अगर नोट काफी कम मात्रा में ऑक्सीजन की खपत कर रहा हो और अपने स्पेस सूट के छोटे-छोटे बूस्टर यूज़ करके अपनी दिशा बदल देता है तो उसे कई तरह से बचाया जा सकता है


दूसरे ग्रहों पर एस्ट्रोनॉट की मौत

दोस्तों जैसे कि मैंने कहा था कि दूसरे ग्रहों पर एस्ट्रोनॉट की मौत हो जाती है। तब उनकी मौत होने के बाद उनकी Dead Body और शरीर है। तो वैसा ही अनंत काल तक दूसरे ग्रहों पर पड़ा रहेगा और परिवार के नजदीकी लोग जब तक उसके शरीर वापस लाने के लिए मांग नहीं करते है। या फिर स्पेस एजेंसी पर जोर नहीं डालते है। सरकार पर जोर नहीं डालते है। तब तक एस्ट्रोनॉट शरीर उसी ग्रहों पर पड़े हुए मिलेंगे


अब तक स्पेस में किसी की मौत हो चुकी है?

दोस्तों वैसे तो स्पेस में कई सारे मिशन के दौरान कई सारे एस्ट्रोनॉट की मौत हो चुकी है। और इनके रीजन कुछ अलग अलग है। जो मैं आपको आने वाले किसी आर्टिकल में बताऊंगा और इसमें में 10 एस्ट्रोनॉट के गंभीर विषयों को आपके सामने रख लूंगा

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