नमस्कार दोस्तों , मेरा नाम है ओंकार । मेरी वेबसाइट पर आपका फिर से स्वागत है । दोस्तों पिछले पोस्ट में हमने यह देखा था कि मोड ऐप क्या होते हैं और डेवलपर ऐसे मोड़ ऐप क्यों बनाते हैं ? जिसमें हमने जिक्र किया था कि प्लेस्टोर पर ऐसे मोड़ एप्लीकेशन मौजूद नहीं होते हैं और इसके कई सारे कारण हो सकते हैं या फिर डेवलपर के लिए काफी नुकसान भी हो सकते हैं और इस पोस्ट में हम यह देखेंगे कि क्या हो अगर मोड एप्लीकेशन या एडिट किए हुए एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर अपलोड किए जाए तो । कई सारे लोगों के मन में ऐसा आता है कि सेम काम करने वाले कई सारे एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर मौजूद है , तो मोड एप्लीकेशन भी ओरिजिनल एप्लीकेशन जैसे ही काम करता है यानी कि वह भी उस ओरिजिनल एप्लीकेशन की तरह सेम ही एप्लीकेशन है , तो वह प्ले स्टोर पर मौजूद क्यों नहीं रहता ? या फिर डेवलपर उन्हें प्ले स्टोर पर अपलोड क्यों नहीं करते हैं ? तो उन कारणों का जब मैंने पता लगाया तो मुझे कई सारे ऐसे कारण मिल गए जो कि आम लोगों के और समझने के बाहर होते हैं । पर फिर भी मुझे इस विषय पर पोस्ट मेरी वेबसाइट पर मौजूद कर देना था इसलिए मैंने काफी रिसर्च करके यह पोस्ट आपके लिए लेकर आया हूं । मुझे ऐसा लगता है कि यह पोस्ट आपको काफी पसंद आएगा आप इसे जरूर पूरा पढ़े । दोस्तों इस पोस्ट में हमको क्या कुछ नया , इंटरेस्टिंग और यूजफुल जानने को मिलेगा इसके बारे में मैंने नीचे आपको सब पॉइंट हटा दिए हैं और हम उस पॉइंट पर पूरे विस्तार से चर्चा करेंगे ।
◆ मोड ॲप प्ले स्टोअर पर क्यों अपलोड नही होते है ?
◆◆ मोड एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर कौन अपलोड कर सकता है ?
◆◆◆ मोड एप्लीकेशन प्ले स्टोअर पर अपलोड करने के लिए क्या करना होता है ?
1 ] मोड ॲप प्ले स्टोअर पर क्यों अपलोड नही जाते है ?
दोस्तो इस पॉईंट मे हम देखेंगे कि किन किन कारणों की वजह से मोड या एडिट एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर अपलोड नहीं होता है ।
1 ) ओरिजनल ऑनर द्वारा प्रोग्रामिंग कोड ना बेचना
दोस्तों एक डेवलपर जब भी कोई ऐप बनाता है तो उसके लिए काफी कोडिंग करता है । जिसमें Java script , Kotlin, C++ , Python जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल करता है । ऐसी लैंग्वेज सीखने में और कॉपी करने में काफी फर्क होता है । अगर कोई डेवलपर लैंग्वेज सीख कर उससे एप्लीकेशन बनाता है तो उसमें उसको उस काम के लिए कई सालों की मेहनत और लगन लगती है और अगर कोई ऐसा प्रोग्रामिंग या प्रोजेक्ट चुराता है या फिर कॉपी करता है , तो उससे काफी सारा नुकसान ओरिजिनल डेवलपर को उठाना पड़ता है । इस वजह से वह जो पैसे कमाना चाहता है वह कमा नही पाता है । अब यहां पर सवाल आता है कि प्रोग्रामिंग क्या स्क्रिप्टिंग कोड द्वारा पैसे किस तरह से कमाए जाते हैं । उस पर भी हमने एक अलग सा आर्टिकल बना है दिया है । आप ऊपर दी गई लिंक से वह पढ़ सकते हो । तो ऐसे प्रोग्रामिंग कोड अगर ओरिजिनल ओनर दूसरों को नहीं बेचता , तो वह कोड कोई दूसरा व्यक्ति इस्तेमाल नहीं कर सकता है । इस वजह से जब तक ओरिजिनल ओनर कोई प्रोजेक्ट कोड दूसरे डेवलपर को बेचता नहीं है तब तक दूसरा व्यक्ति उससे सेम ऐप नहीं बनता और प्ले स्टोर पर अपलोड करता नहीं ।
2 ) एक ही पैकेज नेम होने की वजह से
आपने कई बार देखा होगा कि अलग-अलग एप्लीकेशन के लिए अलग-अलग पैकेज नेम होता है और यह नेम आप अपने एंड्राइड स्टूडियो में एप्लीकेशन बनाते वक्त ऐड या क्रिएट करते हो । अलग-अलग डेवलपर एप्लीकेशन बनाते वक्त अलग-अलग नेम क्रिएट करते हैं । यह पैकेज नेम उस एप्लीकेशन के नाम से होता है या फिर फेसबुक गूगल जैसी बड़ी कंपनियां है जो कई सारे एप्लीकेशन या सर्विस के लिए काम करती है तो उनका पैकेज नेम कंपनी के नाम की तरह होता है । अगर कोई थीम बनाने वाली कंपनी हो या फिर मोबाइल सेटिंग या सेटिंग कस्टमाइज करने की कोई कंपनी हो तो उनके भी कई सारे एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर मौजूद होते हैं और वह कंपनियां एक ही एप्लीकेशन में सारे फीचर नहीं ऐड करती है और उस वजह से उनके कई एप्लीकेशन पर एक ही तरह का पैकेज नेम होता है । हालांकि थोड़ा बहुत चेंज होता है पर कंपनी का नाम उस पैकेज नेम में ऐड तो जरूर ही होता है और ऐसे सेम पैकेज नेम हो तो गूगल प्ले स्टोर को पता चलता है कि वह एप्लीकेशन एक ही कंपनी द्वारा अपलोड किया गया है । साथ में अगर आप प्ले स्टोर पर कोई एप्लीकेशन अपलोड करते हो तो आपको एक गूगल अकाउंट की जरूरत भी होती है । जिसे गूगल प्ले कंसोल में कन्वर्ट करना पड़ता है या फिर कहे गूगल अकाउंट को गूगल प्ले कंसोल में साइन इन करना होता है और वहां से आपको एप्लीकेशन अपलोड करना होता है । तो इससे भी पता चलता है कि वह एप्लीकेशन किस ऑनर द्वारा ऐड किया गया है और एक एप्लीकेशन दो ओनर द्वारा अपलोड किया गया हो तो उस पर काफी सारी कानूनी कार्रवाई हो जाती है ।
3 ) ओरिजिनल ओनर द्वारा कॉपीराइट ना बेचना
दोस्तों ऊपर दिया गया पहला पॉइंट जो कि यह है कि ओरिजिनल ओनर द्वारा स्क्रिप्टिंग कोड ना बेचना और यह पॉइंट जो की है ओरिजिनल ओनर द्वारा कॉपीराइट ना बेचना । उसमें काफी सारा फर्क होता है और हमने एक पोस्ट में यह देखा था कि स्क्रिप्टिंग कोड किस तरह से बेचे जाते हैं तो आपको वह आर्टिकल भी पढ़ लेना चाहिए जिससे आपको काफी सारा नॉलेज इस विषय पर आ जाएगा । अब बात करें कॉपीराइट की , तो दोस्तों इंटरनेट इस्तेमाल करते वक्त या फिर किसी दूसरों की चीज इस्तेमाल करते वक्त कई सारे कॉपीराइट का सामना यूजर को करना पड़ता है जैसे कि ओरिजिनल ओनर द्वारा बनाई गई ओरिजिनल Photo , Video , Music , Zip File , Apk File या फिर Html File , CSS File जैसे कई सारे फाइल होती है जो कि कॉपीराइट के सेक्शन में आती है । अगर ओरिजिनल ओनर उस फाइल को किसी दूसरे एप्लीकेशन या वेबसाइट पर देखता है तो वह उस फाइल के लिए उस व्यक्ति को हटाने के लिए कह सकता है या फिर लीगल एक्शन भी ले सकता है । शुरुआती दिनों में वह ओरिजिनल ओनर उस फाइल को दूसरों की प्रोजेक्ट से हटाने को ही कहता है अगर वह ना माने तो उस पर कानूनी कार्रवाई हो जाती है । क्योंकि कोई भी चीज खुद से बनाने के लिए काफी सारे मेहनत लगती है और दूसरा व्यक्ति अगर हो सिर्फ कॉपी करके उससे पैसा कमाए तो वहां पर ओरिजिनल ओनर का काफी नुकसान है । और कोई भी फाइल फिर चाहे वो इमेज से बनाया हुआ थंबनेल हो या म्यूजिक द्वारा बनाया हुआ एप का बैकग्राउंड म्यूजिक हो उसे ओरिजिनल ओनर के कहने पर हटाना ही पड़ता है । नहीं तो जब तक वह मामला कोर्ट द्वारा सुलझाया नहीं जाता तब तक प्ले स्टोर उस कॉपी एप्लीकेशन को प्ले स्टोर से डाउन कर देता है ।
अब अगर बात करें एप्लीकेशन में ऐसा क्या होता है जो कि कॉपीराइट के लिए जिम्मेदार होता है ? तो मैं आपको बता दूं कि एक एप्लीकेशन बनाने के लिए प्रोग्रामिंग कोड के साथ-साथ अलग अलग आइकन , थंबनेल एंड्राइड स्टूडियो JDK फाइल SDK फाइल के साथ-साथकई घंटों की मेहनत , वह एप्लीकेशन बनाने के लिए लग जाती है । एप्लीकेशन के आइकन और थंब नेल को छोड़ दो तो भी उसमें कई घंटों प्रोग्रामिंग करना होता है तब जाकर एक एप्लीकेशन बनता है और जब कोई यूजर वह कॉपी करता है । तो सिर्फ उस एप्लीकेशन के आइकन और थंबनेल ही चेंज करता है और खुद से कुछ प्रोग्रामिंग कोड लेकर या कॉपी करके इसे एप्लीकेशन में ऐड करता है और उससे नया एप्लीकेशन बना देता है और उसी वजह से ओरिजिनल ओनर को नुकसान होता है क्योंकि ओरिजिनल एप्लीकेशन से मोड वर्जन में उससे कई ज्यादा फीचर होते हैं और यूजर मोड वर्जन एप ही इस्तेमाल करना पसंद करते हैं और इसी वजह से जो लोग ओरिजिनल एप्लीकेशन डाउनलोड करना चाहते थे वह मोड़ वर्जन के एप्लीकेशन पर चले जाते हैं । इससे ओरिजिनल ओनर को पैसा कमाने का अच्छा खासा मौका नहीं मिलता है और इसी वजह से ही एडिट किए हुए एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर मौजूद नहीं होते हैं ।
4 ) गूगल द्वारा प्ले कंसोल पर सेम एप्लीकेशन पाने पर
दोस्तों जब भी आप गूगल के प्ले स्टोर पर एप्लीकेशन अपलोड करना चाहते हो तो उसके लिए आपको अपना गूगल अकाउंट प्ले कंसोल से साइन इन करना होता है और वहां से $25 गूगल को पहले पे करना होता है । उसके बाद ही आप वह एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर अपलोड करते हो या फिर करना होता है । पर दोस्तों बात यहां पर ही खत्म नहीं होती । जब आप कोई एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर अपलोड करते हो तो आपको उस एप्लीकेशन का एक नाम सेट करना होता है । उसके बाद वह एप्लीकेशन किस लैंग्वेज में इस्तेमाल होगा वह सिलेक्ट करना होता है और कई सारे स्क्रीन शॉट अपलोड करने होते हैं । यह स्क्रीनशॉट आपको खुद से बनाने होते हैं यानी कि वह एप्लीकेशन मोबाइल में किस तरह से दिखेगा , टेबलेट में किस तरह से दिखेगा और एंड्राइड टीवी से इस्तेमाल करेंगे तो कैसा दिखेगा वह सबसे पहले स्क्रीनशॉट एडिट करके बनाने होते हैं और वह स्क्रीनशॉट गूगल प्ले कंसोल में ऐड करने होते हैं । इससे गूगल को यह पता चलता है कि वह एप्लीकेशन कौन से प्लेटफार्म पर किस तरह से दिखाई देगा । आपने कई बार यह देखा होगा कि जब आप कोई एप्लीकेशन प्ले स्टोर से डाउनलोड करते हो तो उस एप्लीकेशन के 4 से 6 स्क्रीनशॉट पहले से मौजूद होते हैं और यह स्क्रीनशॉट प्ले कंसोल द्वारा पहले अपलोड किए हुए होते हैं । अब यहां पर कुछ कंपनियां डायरेक्ट स्क्रीनशॉट निकालती है तो कुछ कंपनियां साइज बाय साइज एडिट करके बनाती है । पर गूगल को इससे पता चलता है कि पुराने एप्लीकेशन और नए एप्लीकेशन में क्या कुछ फर्क है और उसके हिसाब से ही वह यूज़र को इंस्ट्रक्शन देता है कि वह एप्लीकेशन कॉपी किया गया है या फिर दोबारा अपलोड हो रहा है और इस वजह से भी कोई मोड एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर एडिट करके अपलोड नहीं किया जा सकता ।
5 ) गूगल प्ले कंसोल द्वारा कोड को स्कैनिंग करने के बाद
दोस्तो आप अपना Google Account गूगल प्ले कंट्रोल में Sign In करते हो और वहां से कोई भी एप्लीकेशन अपलोड करने की कोशिश करते हो , पर दोस्तों ऐसा नहीं होता है । पूरा प्रोसेस काफी डिफरेंट और लंबा होता है । जब भी आपको एप्लीकेशन Android Studio में बनाते हो तो Google कई सारे कोड गूगल प्ले कंसल द्वारा आप तक पहुंचाता है और वह कोड आपको Google से कॉपी करके आपके android Studio के एप्लीकेशन प्रोजेक्ट में पेस्ट करने होते हैं । तब जाकर वह एप्लीकेशन Google द्वारा मिले एडवर्टाइजमेंट और अन्य चीजें एक्सेप्ट करने के लायक हो जाता है । अब यह कोड अगर दो एप्लीकेशन में एक साथ मिलते हैं या फिर उस एप्लीकेशन की बनावट किसी दूसरे एप्लीकेशन के साथ मेल खाती है तो उस एप्लीकेशन को प्ले स्टोर पर जगह नहीं मिलती यानी कि वह एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर अपलोड नहीं हो सकता ।
2 ] मोड एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर कौन अपलोड कर सकता है ?
1 ) एप की ओनरशिप नए मालिक को मिलने के बाद
दोस्तों हमने कई सारे पॉइंट ऊपर देखे हैं तो उससे आपको पता चल गया होगा किस कारणों की वजह से एडिट किया हुआ या फिर मोड एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर अपलोड नहीं होता है । तो अब 1 पॉइंट यहां पर बनता है कि कौन एडिट किया हुआ एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर लीगली अपलोड कर सकता है । तो मैं आपको बता दूं कि कोई भी एप्लीकेशन एडिट करने के लिए उसका ओरिजिनल ओनर परमिशन दे , तो नया डेवलपर उसमें कुछ चेंज करके दोबारा से प्ले स्टोर पर अपलोड कर सकता है जैसे कि अगर बात करें व्हाट्सएप की तो , व्हाट्सएप पहले एक अलग एप्लीकेशन था जिसे फेसबुक ने खरीद लिया । अब उस पर पूरा अधिकार फेसबुक का है तो फेसबुक जब चाहे तब उसे एडिट करके या फिर अपडेट करके प्ले स्टोर पर मौजूद कर सकता है । यह हो गई उसके ओरिजिनल ओनर द्वारा परमिशन देने के बाद अपलोड करने की बात यह एक सिंपल और अच्छा उदाहरण है । इससे आपको काफी सारी मदद यह पॉइंट जानने के लिए मिल जाएगी , कि कौन एप्लीकेशन को अपडेट कर के प्ले स्टोर पर मौजूद कर सकता है ।
2 ) सेम कंपनी द्वारा दूसरा एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर आने के बाद
दोस्तों अगर कोई एक कंपनी है जो कि कई सारे एप्लीकेशन बनाती है तो वह कंपनी एक दूसरे के कोड एक दूसरे एप्लीकेशन के साथ शेयर कर सकती है जैसे कि गूगल को देख लीजिए । गूगल के सर्विस में कई सारे एप्लीकेशन मौजूद है और वह एप्लीकेशन एक दूसरे का डाटा जब चाहे तब शेयर कर सकते हैं जैसे कि Google Drive और Google Docs गूगल के प्रोडक्ट है । यह एप्लीकेशन जो की फाइल या डॉक्यूमेंट से स्टोर करने के लिए एक ही जैसा काम करते हैं तो वह एप्लीकेशन अपना डाटा एक दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं या फिर एक दूसरे के साथ ट्रांसफर कर सकते हैं । तो ऐसा सेम डाटा शेयर करने वाली कंपनी या ऐप बनाने वाली कंपनी ऐसे एप्लीकेशन मैं कुछ चेंज इस करके उन्हें एक दूसरे से कनेक्ट कर सकती है और वह मोड़ एप्लीकेशन या एडिट एप्लिकेशन के आधार पर Play Store में दोबारा अपलोड कर सकती है ।
3 ) एप्लीकेशन ऑनर द्वारा लाइट वर्जन बनाने के बाद
दोस्तों लाइट वर्जन क्या होते हैं और बड़े एप्लीकेशन को उसका लाइट वर्जन बनाने की क्यों जरूरत पड़ती है ? इसके बारे में भी हमने विस्तार से जानकारी ली है । तो अगर कोई एक कंपनी है जो कि उस एप्लीकेशन का लाइट वर्जन भी बनाती है तो उससे दोनों एप्लीकेशन एक जैसा ही काम करते हैं । मगर थोड़े बहुत ऑप्शन की कमियां उस एप्लीकेशन में होती है । जैसे कि अगर देखा जाए तो Twitter , Facebook , Pinterest , Spotify Firefox Uber जैसी कई सारी कंपनियां या फिर एप्लीकेशन है जो कि उनका लाइट वर्जन भी प्ले स्टोर पर रखती है । तो वह कंपनियां उसी एप्लीकेशन को एडिट करके या फिर से दूसरे पैकेज नेम के साथ सेम एप्लीकेशन प्ले स्टोर पर अपलोड कर सकती है ।
3 ] मोड एप्लीकेशन प्ले स्टोअर अपलोड करने के लिए क्या करना होता है ?
1 ) एप्लीकेशन ओनर की परमिशन लेना
अगर आप कोई एप्लीकेशन बना रहे हो और सेम ऑप्शन आपको दूसरे एप्लीकेशन की तरह चाहिए , तो आपको उस एप्लीकेशन के ओरिजिनल ओनर से उस खास कोड को खरीद कर लेना है या फिर अगर आप चाहते हो कि पूरा एप्लीकेशन ही आपको चाहिए तो आप पूरे पैसे उस एप्लीकेशन ओनर को देने पड़ते हैं जैसे कि अगर वह एप्लीकेशन मंथली कुछ 10 या 20,00,000 रुपए कमाता हो या फिर करोड़ों की कमाई करता हो तो ऐसे में आपको उस एप्लीकेशन को उस एप्लीकेशन कि मंथली कमाई से जद्या पैसे पे करने पड़ सकते हैं । जिस तरह का एप्लीकेशन होगा उस तरह से उसका प्राइस भी डिपेंड होगा । अब अगर देखा जाए व्हाट्सएप को तो , फेसबुक ने व्हाट्सएप को एक 19 बिलियन में खरीदा था तो यह खरीदारी भी इतिहास के सबसे बड़ी खरीदारी में से एक है । अब फेसबुक ने उसकी पूरी ओनरशिप खरीद ली हो तो उस पर फेसबुक का पूरा अधिकार है और फेसबुक जब चाहे तब उसमें अपने हिसाब से चेंज कर सकता है या फिर व्हाट्सएप को पेड़ एप्लीकेशन भी बना सकता है या उस पर ऐड भी रन कर सकता है । तो यह काम होते हैं जब पूरी तरह से एप की ओनरशिप ली जाए तो ।
2 ) फ्री प्रोग्रामिंग कोड को इस्तेमाल करना
दोस्तों अगर आप कोई एप्लीकेशन बना ही रहे हो तो आपको बहुत सारी प्रोग्रामिंग सीखने की जरूरत है क्योंकि आपने फ्री प्रोग्रामिंग कोड ले लिया तो भी आपको उसमें कुछ चेंजेस करने पड़ते ही हैं या फिर वह कोड क्या है और किस काम के लिए इस्तेमाल होते हैं ? उतना तो समझना जरूरी ही है । तो फ्री प्रोग्रामिंग कोड आपको कई सारे वेबसाइट में मिल जाते हैं । साथ में कई सारे यूट्यूबर वह कोडिंग यूट्यूब चैनल पर करके दिखाते हैं और उनके कोड्स भी उनकी वेबसाइट पर मौजूद करवाए जाते हैं । तो आपको कोई भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखने से पहले या फिर लेने से पहले वह प्रोग्रामिंग कोड फ्री में है या नहीं वह देखना है । अगर आपको फ्री प्रोग्रामिंग और अपने काम के लिए कोड मिल जाए तो उन्हें लेकर इस्तेमाल करने हैं । अब यह फ्री प्रोग्रामिंग कोड आपको इंटरनेट द्वारा फ्री में क्यों मिल जाते हैं और यूजर उन्हें फ्री में क्यों कर देता है ? उसके बारे में भी हमने काफी सारी जानकारी एक आर्टिकल द्वारा दी है आप चाहे तो वह पढ़ सकते हो ।
3 ) प्रोग्रामिंग कोड को खरीद देना
दोस्तों ऐसे कई सारे प्रोग्रामर होते हैं जो कि आपको फेसबुक और इंटरनेट पर मिल जाएंगे जो कि आपको प्रोग्रामिंग कोड के बदले पैसे की मांग करते हैं । जिसमें फेसबुक पर आपके बहोत सारे प्रोग्रामर मिल जाएंगे । जो आपको ऐसे कोड बना कर दे देंगे । जो आपको इस्तेमाल करने योग्य होंगे । आपको सिर्फ आपने कोड्स की मांग फेसबुक के फेसबुक ग्रुप पर दे देनी है । जहां से आप वह कोड खरीद सकते हो । इसके लिए आपको किसी भी एक Html , Php या फिर Javascript जैसे ग्रुप पर ज्वाइन होना है और अपनी कोडिंग लिस्ट और अपना बजट वहां पर बता देना है । जिसको भी वह कोडिंग पता होगी वह आपसे संपर्क करके कोडिंग के बदले पैसे ले लेगा । तो इस तरह से आप काफी आसान तरीके से किसी भी लैंग्वेज में प्रोग्रामिंग के लिए कोड खरीद सकते हो । और उसे बनाकर Play Store पर अपलोड कर सकते हो ।
तो दोस्तों यह आर्टिकल कैसा लगा COMMENT जरूर करें । अगर इस आर्टिकल से जुड़ा आपका कोई सवाल है तो कृपया कमेंट बॉक्स में जरूर पूछे । ताकि आपके साथ और भी लोगों की परेशानी दूर हो । अगर आर्टिकल अच्छा लगे तो इसे अपनों में और आपके पसंदीदा सोशल मीडिया वेबसाइट पर SHARE जरूर करें । अन्य सोशल मीडिया साइट पर हमारे नोटिफिकेशन पाने के लिए कृपया हमें आपके पसंदीदा सोशल मीडिया साइट पर फॉलो भी करें । ताकि हमारा आने वाला कोई भी आर्टिकल आप मिस ना कर सको । हमें Facebook , Instagram , Linkedin , Twitter , Pinterest और Telegram पर फॉलो करें । साथ में हमारी आनेवाली पोस्ट के ईमेल द्वारा Instant Notification के लिए FeedBurner को SUBSCRIBE करें ।
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