नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है ओंकार और मेरी वेबसाइट OKTECHGALAXY.COM पर आपका फिर से एक बार स्वागत है । दोस्तों हमने पिछले कई सारे पोस्ट में हमने स्पेस नॉलेज से रिलेटेड कई सारे आर्टिकल देख लिये है तो कई सारे लोगों द्वारा मुझे कमेंट आने के बाद मैंने यह आर्टिकल सबके लिए लाने का सोच लिया है । आप भी अपने कॉमेंट बता दो जिसके बाद में आपको उस विषय पर काफी विस्तार से इंफॉर्मेशन उपलब्ध कर दूंगा । तो इस पोस्ट में हम यह देखेंगे कि स्पेस सूट किस तरह से काम करता है या फिर बनाया जाता है क्योंकि दोस्तों इस पर मुझे कम से कम 6 कमेंट आ चुके थे इसके बाद में आर्टिकल सबके लिए लाया हूं । सबसे पहले कमेंट करने वाले व्यक्ति के लिए मैं धन्यवाद कहना चाहता हूं । तो दोस्तो स्पेस सूट आपने कई फिल्मों में देखा होगा मगर सामने से या फिर छू कर नहीं देखा होगा तो आपके मन में ऐसा सवाल आता होगा कि या उस पर सूट किस तरह से काम करता है । तो इससे रिलेटेड और भी कई सारे पॉइंट लेकर हम यह आर्टिकल विस्तार से देखेंगे । तो दोस्तों सबसे पहले आप यह जान लो कि इस पोस्ट में आपको क्या नया जानने को मिलेगा ।
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◆ स्पेस सूट क्या होता है ?
◆◆ स्पेस सूट क्यों इस्तेमाल किया जाता है ?
◆◆◆ स्पेस सूट का कलर सफेद ही क्यों होता ?
◆◆◆◆ स्पेस सूट बनाने के लिए क्या किया जाता है ?
◆◆◆◆◆ स्पेस सूट बनाने के लिए इतना खर्चा क्यों आता है ?
1 ] स्पेस सूट क्या होता है ?
दोस्तो आप ने कही सारे हॉलिवूड की फिल्म मे देखा होगा तो एस्ट्रोनॉट के शरीर के उपर एक सूट होता है जो कि सफेद कलर का होता है और यही कलर का सूट एस्ट्रोनॉट को पहन कर अंतरिक्ष में जाना पड़ता है या फिर आपने कई बार अंतरिक्ष यात्री उनका सफर पूरा करके या काम पूरा करके धरती पर वापस आते हैं और स्पेस शटल से नीचे उतरते हैं तो उनके पास वही सफेद कलर का स्पेस सूट होता है और वही सूट एस्ट्रोनॉट या अंतरिक्ष यात्री के बहुत ही काम आता है क्योंकि यह सूट उनकी कई तरह से रक्षा करता है और उन्हें अपना काम पूरा करने में मदद करता है ।
वह सूट को दो भागों में बांटा जाता है जिसमें पूरे शरीर के लिए एक सूट और हेलमेट होता है । ऐसे दो भागों में सूट को बांटा जाता है । यह हेलमेट काफी मजबूत होता है और हर एक टकराव को यह झेलने की ताकत रखता है क्योंकि दोस्तों एस्ट्रोनॉट जब जीरो ग्रेविटी में स्पेस शटल के बाहर जाते हैं तो जीरो ग्रेविटी के वजह से उन्हें अपना संतुलन पाने में बहुत ही दिक्कत है आती है और यह सूट कई बार कई जगह टकरा जाता है , तो हेलमेट इतना मजबूत बनाया जाता है कि वह हर एक टकराव को झेल सके । इस स्पेस सूट में पीछे एक बैग जैसा किट भी होता है जिसमें बैटरीज और ऑक्सीजन सप्लाई के लिए जरूरी टैंक होते हैं ।
स्पेस सूट का काम पहले ही स्पेस मिशन से होता आ रहा है और हर एक एस्ट्रोनॉट ने इसे पहने बिना कोई भी स्पेस मिशन नहीं किया है क्योंकि यह स्पेसक्राफ्ट में रहते वक्त तो कुछ ज्यादा काम का नहीं रहता मगर स्पेसक्राफ्ट के बाहर जाने से पहले इसका काम शुरू होता है क्योंकि यह बहुत ही जरूरी साधन होता है । अगर यह सूट स्पेसक्राफ्ट के बाहर जाते वक्त नहीं पहने तो एस्ट्रोनॉट कि तुरंत ही 5 या 15 सेकंड बाद मौत हो जाती है क्योंकि उसे जरूरी ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है और इस वजह से उसके सांस फूलने लगती है और तुरंत ही मौत हो जाती है । दोस्तो ऐसा नहीं है कि इसे स्पेसक्राफ्ट के बाहर ही पहनते है । स्पेसक्राफ्ट के अंदर भी इसे पहना जाता है मगर यह कुछ मामलों में ही इसका इस्तेमाल करते हैं जैसे की अंतरिक्ष यात्रा से पृथ्वी पर वापस लौटते वक्त या फिर स्पेसक्राफ्ट के अंदर हवा का दबाव कम होने पर इसे पहना जाता है ।
कुछ स्पेस सूट में चेयर यानी खुर्सी भी होती है जिसमें कैमरा और लाइट्स वगैरा भी पाई जाती है और यह इसलिए होता है क्योंकि अगर स्पेसक्राफ्ट से बाहर जाकर स्पेसक्राफ्ट का कोई काम करना है या फिर कुछ स्पेसक्राफ्ट बिगड़ा हुआ ठीक करना है तो उसके लिए एस्ट्रोनॉट को एक जगह से दूसरी जगह पर जाना पड़ता है और यह कुर्सी उसी का काम करती है एस्ट्रोनॉट को एक जगह से दूसरी जगह पर जाने के लिए छोटे-छोटे रॉकेट उसमें लगाए होते हैं और वहएस्ट्रोनॉट के इशारे से शुरू या बंद होकर अपनी जगह बदलते हैं । इस पर लगा हुआ कैमरा अंदर के एस्ट्रोनॉट को बाहर की सारी चीजें बता देता है कि कहां पर क्या चल रहा है और इसीलिए इस कुर्सी का इस्तेमाल किया जाता है ।
2 ] स्पेस सूट क्यों इस्तेमाल किया जाता है ?
स्पेस सूट में कुल मिलाकर 7 भागों में बांटा जाता है और हर भाग का काम कुछ अलग अलग तरीके से होता है जिसमें एस्ट्रोनॉट के लिए जरूरी ऑक्सीजन का सप्लाई करना हो तो वह भी इस सूट द्वारा किया जाता है । जब भी कोई एस्ट्रोनॉट स्पेसक्राफ्ट का काम करने के लिए स्पेसक्राफ्ट के बाहर जाता है तो उसे सामना करना पड़ता है सूरज से निकलने वाली हानिकारक किरणों का । तो यह सूट भी ऐसे सूरज से निकलने वाले हानिकारक किरणों से एस्ट्रोनॉट को बचाता है । दोस्तों आप आज पृथ्वी पर रहते हो तो आपको सूरज से निकलने वाली किरणों का इतना ज्यादा तकलीफ होता है तो आप समझ जाओगे सूरज के वह हानिकारक किरणों से एस्ट्रोनॉट का क्या हाल होता होगा । हालांकि ऐसे सूट में ऑक्सीजन का सप्लाई भी होता है मगर ऐसे सूट में या तो सांसे जल्दी फूलने लगती है या फिर उन्हें कोई भी हलचल करते वक्त काफी दिक्कतें आती है ।
दोस्तों जब भी कोई एस्ट्रोनॉट किसी दूसरे उपग्रह पर उतरता है तब भी वह एस्ट्रोनॉट को यह पे सूट पहनना जरूरी है । दोस्तों दूसरे उपग्रह पर जीरो ग्रेविटी होती है या फिर पृथ्वी से कम ग्रेविटी होती है तो इसका असर यह होता है कि कोई भी एस्ट्रोनॉट उस उपग्रह पर उतरता है तो बहुत सारे धूल और मिट्टी के कन वातावरण में तैरने लगते हैं और ऐसे कन में से एक भी कन एस्ट्रोनॉट के शरीर में दाखिल हो गया तो वह लंबे समय के लिए बीमार हो सकता है और इसलिए ऐसे स्पेस सूट बहुत ही काम आते हैं यह सूट इतने टाइट और बंद होते हैं कि एक छोटा सा कण भी स्पेस सूट के अंदर नहीं आने देते हैं ।
3 ] स्पेस सूट का कलर सफेद ही क्यों होता ?
दोस्तों आपने कई बार देखा होगा कि स्पेस सूट का कलर और कोई नहीं सिर्फ सफेद कलर का ही होता है और यह सवाल आपके मन में कई बार आ चुका होगा कि स्पेस सूट का कलर सफेद ही क्यों होता है तो मैं आपको बता दूं कि अंतरिक्ष में जहां पर भी आपकी नजर जाए वहां पर आपको सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है और अगर कहीं पर सफेद कलर का कुछ दिखाई दिया तो या तो वह कोई तारा हो सकता है या फिर कोई लाइट या एस्ट्रोनॉट का सूट ही हो सकता है । तो यह तो हो गई उस सफेद कलर के ऑब्जेक्ट की बात जो कि स्पेस में हो सकते हैं । तो दोस्तों इसे में एक उदाहरण के तौर पर आपको समझाता हूं अगर कोई एस्ट्रोनॉट स्पेसक्राफ्ट का काम करने के लिए स्पेसक्राफ्ट के बाहर चला जाए और किसी कारण उसको जिस रस्सी से स्पेसक्राफ्ट को जोड़ा है वह टूट जाए या फिर अनलॉक हो जाए तो वह एस्ट्रोनॉट स्पेसक्राफ्ट से दूर चला जा सकता है और अगर ऐसा किसी कारण होता है तो उस एस्ट्रोनॉट को ढूंढना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि अगर कोई भी दूसरा कलर स्पेस सूट के लिए हो तो वह उस अंधेरे में जल्दी से नजर नहीं आ पाएगा और अगर उसी जगह सफेद कलर का सूट हो तो वह दूर से भी चमकता हुआ देखने को मिल जाएगा ।
अब आते हैं उन सफेद कलर के अंतरिक्ष के ऑब्जेक्ट की ओर । तो दोस्तों अगर तारों की बात करें तो तारे एक ही जगह पर चमकते हुए देखने को मिलते हैं । और अगर कोई दूसरी चमकीली चीज हो , तो वह या तो किसी स्पेसक्राफ्ट का मलबा हो सकता है या फिर एस्ट्रोनॉट हो सकता है । इसलिए रात के अंधेरे में एस्ट्रोनॉट को ढूंढने के लिए या फिर पहचानने के लिए ही एस्ट्रोनॉट को सफेद कलर का स्पेस सूट दिया जाता है दूसरे कलर का स्पेसशूट नहीं दिया जाता ।
स्पेस सूट बनाने के लिए क्या किया जाता है
दोस्तों स्पेसशूट एक मानव द्वारा बनाई गई सबसे महंगी चीज में से एक है और इसे बनाने के लिए सबसे महंगी चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है और बनाते वक्त प्रोफेशनल स्पेशल डिज़ाइनर या फिर इंजीनियर काम करते हैं इंजीनियर का कहना होता है कि पे शूट को मजबूत पर हल्का बनाया जाए ताकि एस्ट्रोनॉट को इसे पहनने के बाद काफी भारी ना लगे या फिर उसके काम में कोई रुकावट ना आए इसलिए ऐसे स्पेसशूट वजन में भी जितना हो सके उतना हल्के बनाए जाते हैं । स्पेशल बनाते वक्त इस पर लेयर बायलर चीजें लगाई जाती है जो कि पहले नंबर पर यानी कि सबसे अंदर की लहर पर ऐसे चीज की लेयर लगाई जाती है जो कि एस्ट्रोनॉट को गर्मियां पसीने से रोके ।
एस्ट्रोनॉट की bag में सारे प्रमुख साधन होते हैं जिसमें लाइट्स कैमरा के लिए या माइक के लिए बैटरीज लगाई जाती है साथ में ऑक्सीजन सप्लाई भी सूट के बीच के हिस्से में ही होता है ताकि बाहरी टकराव से उसे कुछ नुकसान ना हो और वह सही सलामत रहे इसलिए उन प्रमुख चीजों को सूट के बीच में सेट किया जाता है सबसे ऊपर की परत या लेयर में कुछ ऐसे लेयर होती है कि सूरज की किरने या गर्मी से सूट के अंदर का तापमान ना बढ़े और एस्ट्रोनॉट हानिकारक किरणों से बचा रहे इस लिए सूट के ऊपर की परत पर सूरज से बचाने वाली लेयर लगाई जाती है
4 ] स्पेस सूट बनाने के लिए इतना खर्चा क्यों आता है ?
दोस्तों स्पेसशूट का हर एक हिस्सा काफी सावधानी से और महंगे से महंगे चीजों से बनाया जाता है और इसमें से हेलमेट में जो कांच होती है और उस पर जो लेयर चढ़ाया जाता है वह गोल्ड प्लेटेड लेयर होता है । जिससे सूरज से निकलने वाली हानिकारक किरणों एस्ट्रोनॉट के आंखों को नुकसान ना करें इसलिए उस पर गोल्ड प्लेटेड लेयर चलाई जाती है । स्पेस सूट के अंदर भी एक सूट पहनना होता है जो कि गले तक पहना जाता है और यह सूट लिक्विड कूलिंग का काम करता है यानी की एस्ट्रोनॉट को पसीने से या फिर गर्मी से दूर रखता है ।
सूट से ज्यादा कीमत , उस सूट के पीछे लगे हुए एक बैग की होती है जिसमें सारे इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट , बैटरी और ऑक्सीजन सप्लाई का टैंक होता है । इसमें ही एस्ट्रोनॉट के पेशाब की व्यवस्था की जाती है ताकि उसे अपने काम के वक्त ही वह काम भी करना पड़े अगर वह दोबारा से स्पेस क्राफ्ट में आता है और वह काम करता है तो इतने काम के लिए बहुत चला जाता है इसलिए वह काम भी एस्ट्रोनॉट को स्पेस सूट में ही करना पड़ता है और यही साधन सामग्री उस बैग में होती है इस वजह से उस बैग का बहुत ही खर्चा आ जाता है ।
5 ] स्पेस सूट की कीमत कितनी होती है ?
अगर देखा जाए तो नासा जैसी स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन एक स्पेस सूट बनाने के लिए कम से कम 12 मिलीयन डॉलर का इस्तेमाल करती है जिसका इंडियन पैसे में कन्वर्ट करें तो इंडियन रुपए 84 करोड़ से 85.42 करोड़ होते हैं । पर अगर वहीं पर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन की बात करें तो हमें पहले से पता है कि हमारी इंडियन इसरो कम से कम लागत में स्पेस प्रोग्राम को पूरा करने की कोशिश करती है । तो यह बजट नासा जैसे कंपनियों से कम ही रहता है ।
दोस्तो इस पोस्ट में हमने जाना कि " स्पेस सूट क्या होता है ? स्पेस सूट क्यों इस्तेमाल किया जाता है ? स्पेस सूट का कलर सफेद ही क्यों होता ? स्पेस सूट बनाने के लिए क्या किया जाता है ? स्पेस सूट बनाने के लिए इतना खर्चा क्यों आता है ? "
तो दोस्तों यह आर्टिकल कैसा लगा COMMENT जरूर करें । अगर इस आर्टिकल से जुड़ा आपका कोई सवाल है तो कृपया कमेंट बॉक्स में जरूर पूछें । ताकि आपके साथ और भी लोगों की परेशानी दूर हो । अगर आर्टिकल अच्छा लगे तो इसे अपनों में और आपके पसंदीदा सोशल मीडिया वेबसाइट पर SHARE जरूर करें । अन्य सोशल मीडिया साइट पर हमारे नोटिफिकेशन पाने के लिए कृपया हमें आपके पसंदीदा सोशल मीडिया साइट पर फॉलो भी करें । ताकि हमारा आने वाला कोई भी आर्टिकल आप मिस ना कर सको । हमें Facebook , Instagram , Linkedin , Twitter , Pinterest और Telegram पर फॉलो करें । साथ में हमारी आनेवाली पोस्ट के ईमेल द्वारा Instant Notification के लिए FeedBurner को SUBSCRIBE करें ।
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