नमस्कार दोस्तों , मेरा नाम है ओंकार । मेरे वेबसाइट OKTECHGALAXY.COM पर आपका फिर से एक बार स्वागत है । दोस्तों इस आर्टिकल में हम सेटेलाइट क्या होते हैं और किस तरह से काम करते हैं साथ ही अंतरिक्ष में सैटेलाइट को क्यों प्रक्षेपित किया जाता है ? इसकी जानकारी लेंगे । अगले एक आर्टिकल में हम सेटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित करना सचमे जरूरी है या नहीं उसके बारे में गंभीरता से चर्चा करेंगे क्योंकि यह एक काफी गंभीर मामला बनता जा रहा है । अब मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं , पिछले आर्टिकल में हमने क्या सच में अंतरिक्ष में कचरा फैल रहा है ? अंतरिक्ष में होने वाला कचरा साफ किया जा सकता है या नहीं ? उसके बारे में बात की थी तो दोस्तों चले आज का यह आर्टिकल तो हम अभी के लिए शुरू करते हैं ।
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What Is Satellite ? |
# 1 ] Satellite क्या होता हैं ?
दोस्तों सेटेलाइट शब्द आपने कई बार कई जगह पर सुना होगा । सेटेलाइट का अर्थ होता है मानव निर्मित उपग्रह । उसमें उपग्रह शब्द में क्यों आता है ? क्योंकि दोस्तों पृथ्वी से बाहर की जो भी चीज पृथ्वी के आसपास घूमती है उसे उपग्रह कहा जाता है और सेटेलाइट को मानव निर्मित बनाया जाता है और सैटेलाइट भी पृथ्वी से बाहर घूमते रहते है , इसलिए सैटेलाइट को ही उपग्रह कहा जाता है । सैटेलाइट को पृथ्वी से रिमोट कंट्रोल द्वारा या रीमोटली भी कंट्रोल किया जाता है या चलाया जाता है । साथ में यहां से ही उससे किसी जगह पर जाने के लिए या घूमने के लिए बताया भी जा सकता है ।
पृथ्वी के अलग-अलग हिस्से में यानी लो ऑर्बिट , मीडियम और हाय ऑर्बिट में अलग-अलग प्रकार के उपग्रह छोड़े गए हैं । इसका काम भी अलग-अलग है । तो सबसे पहले हम लोग ऑर्बिट में भेजे गए उपग्रह का क्या काम होता है यह जानने की कोशिश करेंगे ।
# LOW ORBIT SATTELITE
दोस्तो पृथ्वी को जैसे-जैसे आप छोड़कर ऊपर की तरफ जाओगे तो आपको अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग ऑर्बिट की ऊंचाई होती है पृथ्वी से 160 से 2000 किलोमीटर ऊपर तक आप जाओगे तो आपको पृथ्वी का लो ऑर्बिट देखने को मिलेगा या फिर महसूस करने को मिलेगा । लो ऑर्बिट में एक सेटेलाइट 1 दिन में तीन चक्कर लगाती है । इस ऑर्बिट में ज्यादातर सेटेलाइट वेदर जानने के लिए और साथ में बॉर्डर की सिक्योरिटी के लिए छोड़े जाते हैं । दोस्तों अगर बात करें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की तो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी इसी ऑर्बिट में यानी लो ऑर्बिट में स्थित है और यह दिन में 12 से 15 के चक्कर लगा लेता है ।
# MEDIAM EARTH ORBIT SATTELITE
मीडियम अर्थ ऑर्बिट की कक्षा में जो भी सैटेलाइट आती है वह पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करने में 12 से 15 घंटे का समय लेती है । इन सैटेलाइट को एक निर्धारित स्पीड दिया जाता है और वह आधे दिन में या फिर 12 घंटे में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करती है । मीडियम ऑर्बिट की सेटेलाइट का उपयोग साधारण या ज्यादातर नेविगेशन के के लिए किया जाता है । इस ऑर्बिट की कक्षा यानी कि स्थान 2000 किलोमीटर से लेकर 35786 किलोमीटर के बीच में स्थित होता है ।
# HIGH ORBIT SATTELITE
हाय ऑर्बिट पृथ्वी से ऊपर कम से कम 35786 पर स्थित होता है । और इनमें सेटेलाइट की संख्या बहुत ही कम दिखाई देती है । अगर बात करें इन सेटेलाइट के काम की तो यह सेटेलाइट आमतौर पर पृथ्वी के ऊपर ही रोके जाते हैं यानी कि अगर हमें दिल्ली के ऊपर की इमेज कैप्चर करनी होगी तो इस सेटेलाइट को दिल्ली के ऊपर ही लाया जाएगा । यानी कि जिस तरह से हमारे पृथ्वी 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है उसी तरह यह सैटेलाइट भी 23 घंटे 58 मिनट में एक चक्कर पूरा करते हैं इन सेटेलाइट की घूमने की स्पीड के बराबर ही रखी जाती है ।
# 2 ] अंतरिक्ष में उपग्रह क्यों प्रक्षेपित किए जाते हैं ?
दोस्तों पिछले 1 आर्टिकल में हमने भारत में किस तरह से उपग्रह को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है इसके बारे में बात की थी । तो उपग्रह प्रक्षेपित करने का हर मिशन का उद्देश्य अलग-अलग होता है । किन किन कारणों की वजह से उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाता है यह अब हम देखेंगे ।
1 ] देश की सुरक्षा के लिए ::
दोस्तों ज्यादातर देश अपने देश की सुरक्षा के लिए अंतरिक्ष में उपग्रह को प्रक्षेपित कर देते हैं । जिनमें हाई क्वालिटी के कैमरा के साथ कई सारे सेंसर और हाई क्वालिटी रडार शामिल होते हैं । ऐसे उपग्रह उस देश की सीमाओं की देखरेख करते हैं और उस देश के बॉर्डर का हमेशा जायजा लेते हैं । वैसे तो दोस्तों सभी देश के पास अपने बॉर्डर के लिए कोई ना कोई उपग्रह तैनात रहता है पर कुछ ऐसे भी देश है जो कि अपने बॉर्डर की इतनी ज्यादा ख्याल नहीं रखते । जैसे कि दुबई , पाकिस्तान जैसे देश अपने बॉर्डर पर इतनी ज्यादा सेटेलाइट केंद्रित नहीं करते हैं ।
2 ] दूरसंचार के लिए ::
दोस्तों कुछ उपग्रह ऐसे भी प्रक्षेपित किए जाते हैं कि देश क्या दो संचार प्रणाली कभी बंद ना हो । साथ ही नेटवर्क हमेशा बना रहे इसलिए कुछ उपग्रह हमेशा कार्यरत रहते हैं । दोस्तों जिस तरह हम टेलीविजन को देखते हैं या फिर मोबाइल पर बात करते हैं यह काम दूरसंचार के लिए कार्यरत किए गए उपग्रह द्वारा किया जाता है | जब भी हम किसी व्यक्ति को फोन लगाते हैं तो सबसे पहले नेटवर्क नजदीकी टॉवर तक जाता है वहां से सेटेलाइट तक यानी उपग्रह तक जाता है उसके बाद जिसे कॉल किया है उसके नजदीकी सेटेलाइट टावर तक जाता है और उसके बाद उस व्यक्ति तक पहुंचता है । तो आपको समझ आ गया होगा सेटेलाइट का काम किस तरह से होता है ।
3 ] इमेज कैपचरिंग के लिए ::
दोस्तों हम जब भी गूगल मैप या फिर गूगल अर्थ को इस्तेमाल करते हैं तो हमें वह मैप के थ्रू या मैप जैसा दिखाई देता है । पर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह सारे मैपिंग कई सारे इमेज से की जाती है । यानी गूगल मैप के लिए जो सेटेलाइट कार्यरत रहता है , वह हमारे पृथ्वी के हर एक हिस्से की फोटो खींचकर गूगल को भेज देता है और फिर वह सारी इमेज को जोड़ा जाता है और उससे एक मैप बनाया जाता है । वो सेटेलाइट पृथ्वी के लो आर्बिट में यानी पृथ्वी से 160 से 2000 किलोमीटर ऊपर घूमते रहते हैं और पृथ्वी का चक्कर काटते रहते हैं उनका एक ही काम होता है पृथ्वी पर इमेज सेंड करना और पृथ्वी को स्कैन करना ।
कोशिश हमेशा आखरी सांस तक करनी चाहिए , या तो लक्ष्य हासिल होगा या अनुभव । OKTECHGALAXY.COM / Motivation
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